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Ram Kewal Sharma

Principal

उठो जागो और ऐसे श्रेष्ठजनों के पास जाओ जो तुम्हे ईश्वर अर्थात जीवन के परम लक्ष्य का बोध करा सके। हमारी प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली का यही श्रेष्ठ मन्तव्य रहा है। शिक्षार्थी अपने परिवार के सुख वैभव अथवा दुख- दैन्य को त्याग कर आता था, जहाँ शिक्षालय उसके समस्त विकारों को दूर करता था और श्रेष्ठजनों के पर्याय गुरुजन अपनी विलक्षण ज्ञान ज्योति से उसके अज्ञान को आलोकित कर जीवन के परम लक्ष्य का बोध कराते थे, परन्तु कालान्तर में विदेशियों अर्थात विशेष रूप से अंग्रेजों के आगमन के पश्चात हमारी शिक्षा का सम्पूर्ण कलेवर ही बदल गया, जिन्होंने यहाँ के राष्ट्रीय जीवन को तहस-नहस कर अपना शासन तंत्र विकसित करने के लिए, अपनी जड़ जमाने के लिए आधुनिक (पाश्चात्य ) शिक्षा प्रणाली का सूत्रपात किया। इस उद्देश्य में वे सफल भी हुए इस शिक्षा प्रणाली ने पाश्चात्य सभ्यता के कल पुर्जे तैयार किये तथा यहाँ की सम्पूर्ण पीढ़ी स्वाभिमान से वंचित, राष्ट्रीय चरित्र से शून्य, महापुरुषों के गौरवशाली अतीत से वंचित तथा राष्ट्रीय चिन्तन से ध्यान हटाकर बुद्धि को कुन्द बना दिया।

अब स्वाधीन भारत को जबकि उस पर चारों तरफ से संकटों के बादल मंडरा रहे हैं तो ऐसे विद्यालयों की आवश्यकता है जहाँ छात्रों में निःस्वार्थ, राष्ट्र भक्ति की भावना, स्वत्व का सम्यक ज्ञान, आत्मनिर्भरता, दृढ इच्छा शक्ति, स्वाभिमान आदि सद्गुणों का निर्माण किया जा सके, इसके लिए प्रचलित शिक्षा पद्धति में आमूल परिवर्तन कर भारतीय संस्कृति तथा परम्परा से अनुमोदित शिक्षा पद्धति को वर्तमान परिवेश व आवश्यकतानुसार संशोधित कर प्रचलन एवं प्रचार-प्रसार करना होगा।

इसमें किसी प्रकार का सन्देह नहीं है कि हमारे छात्र-छात्राओं को सुशिक्षा, सुसंस्कार, राष्ट्रीय सद्गुणों के निर्माण के निमित्त उपयोगी एवं सहायक वातावरण मिल सके तो उन्हीं में से राणा प्रताप, शिवाजी, विवेकानन्द, महर्षि अरविन्द घोष जैसे बनकर मातृभूमि का मुख उज्ज्वल करेंगे।

उपर्युक्त विचारों से उत्प्रेरित होकर १९५२ में शिक्षा समिति उ०प्र० के अन्तर्गत सरस्वती शिशु मन्दिर १९७८ में भारतीय शिक्षा समिति उ०प्र० के अन्तर्गत सरस्वती शिशु मन्दिर पूर्व माध्यमिक विद्यालय तत्पश्चात विद्या भारती एवं शिशु शिक्षा समिति काशी प्रदेश के संयुक्त निर्देशन में तथा आप सब सुधीजनों के स्नेह व सहयोग के बल पर रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मन्दिर इण्टर कालेज जिले में नही प्रदेश के श्रेष्ठ विद्यालयों की पंक्ति में खड़ा है तथा निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर है।

आशा है आप सब का पूर्व की भाँति स्नेह व सहयोग सदैव प्राप्त होता रहेगा। समय-समय पर विद्यालयी व्यवस्था से सम्बन्धित आप • सुधीजनों का सुझाव व सहयोग हमारा सम्बल बनेगा।

राम केवल शर्मा

प्रधानाचार्य